हिन्दी दिवस पर विशेष
लेखक के घर चलो कार्यक्रम पर केंद्रित कर्मभूमि-14 का लोकार्पण
14 सितंबर 2024 (शनिवार)
सायं 7:00 बजे
स्थान -क कला कैफ़े लंका
अध्यक्षता : प्रो. कमलेश वर्मा
मुख्य अतिथि : डॉ. रामाज्ञा राय
।।प्रेमचन्द साहित्य संस्थान ।।
7275466771
कर्मभूमि पत्रिका के 14 वें अंक का लोकार्पण समारोह!
शनिवार को हिन्दी दिवस पर आयोजित ‘कर्मभूमि’ पत्रिका के 14 वें अंक के लोकार्पण समारोह कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राजकीय महाविद्यालय, वाराणसी के प्रो० कमलेश वर्मा ने कहा कि “अनुक्रम को तोड़ना शाही जी का अपना हुनर है। लोग हेड से कुलपति बनते हैं, वह कुलपति से हेड बने। इसलिए अपने हेडशिप में उनके अंदर दोनों पदों की आभा दिखी। इन्होंने हेडशिप के अपने लगभग तीन महीनों में ऐसी धूम मचाई कि बीएचयू का हिन्दी विभाग एक साहित्यिक धाम बन गया। वह अपने आप में एक संस्था हैं। किसी कार्यक्रम में शामिल होकर वहाँ के अनुभव को जब हम दर्ज़ करते हैं तो यह आलोचना को जीवंत बनाता है। यह पत्रिका का ऐसे अनुभवों का दस्तावेजीकरण है। हिन्दी समाज को उन्होंने एक बड़ा संदेश दिया कि प्रेमचंद जैसे लेखकों को हमें बार-बार याद करना चाहिए।”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिन्दी विभाग के सह आचार्य डॉ० रामाज्ञा राय ने कहा कि आज की शाम मेरे लिए जीवन की एक खुबसूरत शाम है। इन दिनों हिन्दी के कर्मभूमि पर कर्म कम हो रहा है, कर्मकांड ज्यादा हो रहा है। इसको बाजार ने अपने तरीके से नियंत्रित किया है। इस पत्रिका में छपी टिप्पणियों से गुजरते हुए आप महसूस कर सकते हैं कि आज के दौर में ऐसे कार्यक्रम कितना जरूरी हस्तक्षेप हैं। इस आयोजन के पीछे एक बड़ी धारणा थी। प्रसाद और प्रेमचंद तो एक निमित्त मात्र थे, इस कार्यक्रम के द्वारा उन्हें विद्यार्थियों और शिक्षकों को साहित्य के प्रति जीवंत करना था। साहित्य जैसे ज्ञान को समाज की प्रयोगशाला में ही जाकर समझा जा सकता है।”
कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य देते हुए ‘कर्मभूमि’ के सम्पादक प्रो० सदानंद शाही ने कहा कि “‘कर्मभूमि’ पत्रिका हिन्दी की शायद एकमात्र ऐसी पत्रिका है जो एक लेखक को केंद्र में रखकर अपना रचनात्मक कार्य कर रही है। हम आगे भी यह प्रयास जारी रखेंगे।”
कार्यक्रम में प्रो० सुचिता वर्मा ने कहा कि “इन कार्यक्रमों का ऐतिहासिक महत्व होता है। जब हम कोई किताब पढ़ते हैं उसके बरख्श ऐसे कार्यक्रमों में हम ज्यादा जीवंत होते हैं। यदि हम साहित्य को जीवन में समारोह की तरह अपना लें तो इसकी सार्थकता बढ़ जाएगी। कई बार साहित्य की अच्छी पंक्तियों को बार-बार दोहराने से भी जीवन में बदलाव आता है।”
यह आयोजन क कला दीर्घा, लंका में संपन्न हुआ। पूरे कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग, बीएचयू के शोध छात्र सर्वेश मिश्र ने किया। कार्यक्रम के समापन के समय प्रो० सदानंद शाही ने पत्रिका में छपे मौजूद लेखकों हिमांशी गंगवार, अंकित कुमार मौर्य, रोशनी धीरा, ख़ुशबू सहित सभी लेखकों को एक-एक लेखकीय प्रति प्रदान की। इस पूरे कार्यक्रम में जिसमें प्रो० अवधेश प्रधान, प्रो० बलिराज पांडेय, प्रो० जाह्नवी सिंह, के साथ ही काफ़ी संख्या में हिन्दी विभाग के विद्यार्थी एवं शोधार्थी मौजूद रहें।
अंकित कुमार मौर्य, शोध छात्र, हिन्दी विभाग, BHU