प्रेमचन्द साहित्य संस्थान

Category : आलेख

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सेवासदन के सौ वर्ष :  स्त्री मुक्ति का भारतीय पाठ

सदानंद शाही
सदानन्द शाही    आज से सौ वर्ष पहले प्रेमचंद ने एक उपन्यास लिखा- सेवासदन। सेवासदन की याद आज केवल इसलिए नहीं आ रही है कि...
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प्रेमचंद की नज़र में राष्ट्र

एडमिन
गोपेश्वर सिंह ( राष्ट्र , राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद को लेकर इधर अक्सर बहस होती है। हमारे महान लेखक प्रेमचंद के इस विषय में क्या विचार...
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प्रेमचंद को कैसे पढ़ें ?

सदानंद शाही
सुनने में यह थोड़ा विचित्र लग सकता है लेकिन है जरूरी सवाल । जरूरी इसलिए कि प्रेमचंद को पढ़ने की इतनी दृष्टियाँ हैं ,इतने विचार...
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प्रेमचन्द ने सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद गोरखपुर में दो महीने करघा संघ चलाया था

Manoj kumar Singh
प्रेमचन्द का गोरखपुर से गहरा सम्बन्ध है। उनके बचपन के चार वर्ष यहीं बीते तो जवानी के साढे चार वर्ष भी। वह गोरखपुर में पढे...
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‘ कफ़न ’ कहानी : एक पाठ

सदानंद शाही
उद्देश्यः प्रस्तुत इकाई में आप प्रेमचन्द की कफन कहानी का अध्ययन करेंगे। कफन प्रेमचन्द की ही नहीं हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कहानियों में एक है। कफन...
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प्रेमचंद की एक तस्वीर के अर्थात

एडमिन
  प्रमोद कुमार प्रेमचंद की एक बहुप्रचलित तस्वीर ही अलग-अलग स्केचिंग के साथ छपती व दिखती है. मैंने उसके अतिरिक्त उनकी तीन-चार तस्वीरें ही देखी...