प्रेमचन्द साहित्य संस्थान
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प्रेमचंद साहित्य पर केंद्रित वेबसाइट का लोकार्पण, अरुण देव को देवेन्द कुमार कविता सम्मान

प्रेमचंद साहित्य संस्थान की अर्धवार्षिक पत्रिका कर्मभूमि के 12वें अंक का लोकार्पण 

गोरखपुर। प्रेमचंद जयंती पर प्रेमचंद साहित्य संस्थान द्वारा 31 जुलाई की शाम 5 बजे होटल विवेक में आयोजित प्रेमचंद जयंती समारोह में संस्थान द्वारा प्रकाशित अर्धवार्षिक पत्रिका ‘ कर्मभूमि ’  के 12वें अंक तथा संस्थान की वेबसाइट प्रेमचंद साहित्य संस्थान डॉट काम का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर देवेन्द्र कुमार बंगाली स्मृति कविता सम्मान- 2022 कवि अरुण देव को दिया गया।

प्रेमचंद साहित्य संस्थान द्वारा आज से आरम्भ किए गए वेबसाइट प्रेमचंद साहित्य संस्थान डॉट काम के बारे में बताते हुए पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने कहा कि वेबसाइट में प्रेमचंद के सम्पूर्ण साहित्य के साथ-साथ उन पर हुए शोध, सेमिनार, आलेख को उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। अब तक जनवाणी द्वारा प्रख्यात आलोचक रामविलास शर्मा के निर्देशन में प्रकाशित प्रेमचंद रचनावली के 20 खंड वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया गया है। इसके अलावा प्रेमचंद साहित्य संस्थान द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका ‘ साखी ’ और अर्धवार्षिक पत्रिका ‘ कर्मभूमि ’ के सभी अंक वेबसाइट पर दिए जा रहे हैं। संस्थान की 25 वर्ष से अधिक समय की गतिविधियों और कार्यक्रमों की रिपोर्ट चित्र व वीडियो के जरिए इस वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे। यह वेबसाइट अपने तरह की अनूठी वेबसाइट बनने जा रही है जहां प्रेमचंद का सारा साहित्य तो मिलेगा ही, प्रेमचंद पर हुए सभी महत्वपूर्ण शोध, लेख, सेमिनार की रिपोर्ट, पत्रिकाओं के विशेषाक भी यहां पर एक क्लिक पर उपलब्ध हो जाएंगे। यह वेबसाइट शोध छात्र-छात्राओं सहित सामान्य पाठकों को प्रेमचंद के साहित्य से सीधे जोड़ने में मदद करेगी। वेबसाइट पर आने वाले दिनों पर ऑनलाइन बुक स्टोर भी शुरू किया जाएगा जहां से लोग अपनी पसंद की किताबे खरीद सकते हैं।

आज लोकार्पित कर्मभूमि का 12वां अक प्रेमचंद की राम चर्चा पर केन्द्रित है। प्रेमचंद ने बच्चों के लिए राम के जीवन की गाथा लिखी थी जो सबसे पहले उर्दू में 1928 में प्रकाशित हुई। बाद में सरस्वती प्रेस से इसका हिन्दी अनुवाद छपा।

प्रेमचंद साहित्य संस्थान ने वर्ष 2021 में हिंदी के अनूठे कवि देवेन्द्र कुमार बंगाली की स्मृति में देवेन्द्र कुमार स्मृति कविता सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई थी। पहले वर्ष यह सम्मान लेखक, कवि एवं पत्रकार सुभाष राय को दिया गया था। इस वर्ष यह सम्मान कवि एवं ऑनलाइन पत्रिका समालोचन के सम्पादक अरुण देव को दिए जाने की घोषणा निर्णायक समिति द्वारा की गई थी। आज प्रेमचंद जयंती के अवसर पर आयोजित इस समारोह में कवि अरुण देव को स्मृति चिन्ह, मान पत्र और उत्तरीय के साथ 11 हजार की सम्मान राशि भेंट कर उन्हें समानित किया गया। मान पत्र का वाचन वरिष्ठ पत्रकार अशोक चौधरी ने किया।

इस मौके पर निर्णायक समिति के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि स्वप्निल श्रीवास्तव, निर्णायक समिति के सदस्य प्रो अनिल कुमार राय ने सम्मानित कवि अरुण देव की कविताओं पर अपने विचार रखे। स्वप्निल श्रीवास्तव ने कहा कि अरुण देव की कविताओं में सूत्र वाक्य मिलते हैं। उनकी कविताओं में गहरा तंज है। उनकी अधिकतर कविताओं की आख़िरी पंक्तियाँ विचलित कर देती हैं। उनकी कविता के विषय पारम्परिक विषय से अलग हैं।

प्रो. अनिल राय ने कहा कि अरुण देव  देवेंद्र कुमार बंगाली की परम्परा के कवि हैं। आज जिस तरह कविता ग़ैर राजनीतिक होती जा रही है उसमें अरुण देव भिन्न कवि के रूप में हमारे सामने आते हैं।

सम्मानित कवि अरुण देव ने इस मौक़े पर अपनी दो कविताओं -‘ सुजान ‘ और ‘ अपनी प्रिय एंकर के लिए’ का पाठ किया। इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि गोरखपुर की धरती गहरी प्रश्नाकूलता और विराट करुणा की धरती है। आज इसे याद करते हुए हमें साहस के साथ प्रश्न पूछने की ज़रूरत है और कहीं सूख गए करुणा के स्रोत को तलाशने की ज़रूरत है। उन्होंने देवेंद्र कुमार बंगाली को पूर्वी उत्तर प्रदेश को जातीय कवि के रूप में रेखांकित किया।

इसके पहले प्रेमचंद साहित्य संस्थान के निदेशक ने सभी का स्वागत करते हुए प्रेमचंद साहित्य संस्थान की परियोजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद ऐसी राष्ट्रीयता चाहते हैं जिसमें वर्ण, जाति, भेदभाव का कोई अस्तित्व न हो।

गोरखपुर विकास प्राधिकरण के सचिव उदय प्रताप सिंह ने प्रेमचंद की कहानियों के अपने मानस पटल पर पड़े प्रभाव की चर्चा करते हुए प्रेमचंद की स्मृति को संजोने के लिए प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।

अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रो रामदेव शुक्ल ने अरुण देव की कविता ‘ धरती’ को अपनी पसंद की कविता बताते हुए कहा कि उनकी कविताओं में अपने समय की आवाज है।

कार्यक्रम का संचालन संस्थान के सचिव राजेश मल्ल और धन्यवाद ज्ञापन मनोज सिंह ने किया।

 

इस मौके पर प्रेमचंद आलोचक कपिलदेव,  जेबी महाजन डिग्री कालेज के प्राचार्य मधुप कुमार, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सिंह, एस आर रहमान, अब्दुल्ला सिराज, अचिन्त्य लाहिड़ी, वरिष्ठ पत्रकार अशोक चौधरी, आनंद पांडेय, मनीष चौबे, डॉ प्रमोद शुक्ल, अबुलैश , अरुण आदित्य सहित नगर के साहित्यकार, लेखक, संस्कृति कर्मी  उपस्थित थे।

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